'इस दिन को नहीं भूल सकते...', मेलबर्न में बेटा बना हीरो तो पिता ने कह दी दिल की बात
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'इस दिन को नहीं भूल सकते...', मेलबर्न में बेटा बना हीरो तो पिता ने कह दी दिल की बात

Nitish Kumar Reddy Father: 28 दिसंबर, 2024...इस दिन को नीतीश कुमार रेड्डी कभी नहीं भूल पाएंगे. मेलबर्न में 83 हजार दर्शकों के सामने उन्होंने 21 साल की उम्र में अपने करियर पहला टेस्ट शतक ठोक दिया.

'इस दिन को नहीं भूल सकते...', मेलबर्न में बेटा बना हीरो तो पिता ने कह दी दिल की बात

Nitish Kumar Reddy Father: 28 दिसंबर, 2024...इस दिन को नीतीश कुमार रेड्डी कभी नहीं भूल पाएंगे. मेलबर्न में 83 हजार दर्शकों के सामने उन्होंने 21 साल की उम्र में अपने करियर पहला टेस्ट शतक ठोक दिया. यह शतक उस समय आया जब टीम इंडिया को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी. नीतीश ने सिर्फ फॉलोऑन का खतरा ही नहीं टाला, बल्कि मैच में अपनी टीम की वापसी कर दी. इस शतक को देखने के लिए उनके पिता मुत्याला रेड्डी भी स्टेडियम में मौजूद थे. वह इसे देखकर भावुक हो गए.

स्टेडियम में रोने लगे पिता

नीतीश ने जब स्कॉट बोलैंड की गेंद पर सामने ओर शॉट लगाकर अपना शतक पूरा कर दिया तो उनके पिता के आंसू छलक आए. वह उसे रोक नहीं पाए और हजारों लोगों के बीच रोने लगे. उन्होंने अपने आस-पास के सभी लोगों से बधाई मिलने पर दिल से हाथ जोड़कर भगवान का शुक्रिया अदा किया. नीतीश ने इसी सीरीज में अपना टेस्ट डेब्यू किया था. वह लगातार अच्छी पारियां खेल रहे थे, लेकिन उन्होंने पहली बार मेलबर्न के ऐतिहासिक मैदान पर 50 रन के आंकड़े को पार किया. वह अर्धशतक लगाकर ही नहीं रुके. उन्होंने अपना शतक भी पूरा कर लिया.

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नीतीश के पिता ने क्या कहा?

मुत्याला रेड्डी ने बेटे के शतक के बारे में कहा, ''हमारे परिवार के लिए, यह एक खास दिन है और हम अपने जीवन में इस दिन को नहीं भूल सकते. वह 14-15 साल की उम्र से ही अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में यह एक बहुत ही खास एहसास है. मैं बहुत तनाव में था. केवल आखिरी विकेट बचा था.शुक्र है कि सिराज बच गए.''

 

 

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नीतीश ने बनाया रिकॉर्ड

नीतीश के शतक ने उन्हें मौजूदा बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी सीरीज में भारत के सबसे ज्यादा रन बनाने वाला खिलाड़ी बना दिया है. वह आठवें या उससे नीचे नंबर पर बल्लेबाजी करने के बाद ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट शतक बनाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज भी बन गए हैं. अपने नाबाद 105 रन के जरिए रेड्डी एमसीजी में अपना पहला टेस्ट शतक बनाने वाले दूसरे भारतीय हैं, इससे पहले 1948 में वीनू मांकड़ ने ऐसा किया था.

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